ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

साहित्य मंच साझा संग्रह

श्री मद्भागवत महा पुराण
दोहा

ज्ञान-यज्ञ है भागवत,सुनिए बारंबार।
विमल-कथा भगवान की,उपनिषदों का सार।

कल्प-बृक्ष सम भावना,श्री भागवत पुराण।
सुधा-कलश इसमें भरा,जगत प्रसिद्ध प्रमाण।

ज्ञान वैराग्य है यहाँ,जीवन का आधार।
पुण्य-लाभ मिलता सदा,क्षण-क्षण हो साकार।

आप्तकाम श्री श्याम है,महिमा तासु अनंत।
सर्वव्याप्त जगदीश प्रभु,वेद भागवत संत।

सर्व कला से युक्त हैं,ब्यास भागवत ग्रंथ।
श्रवण-पान से पाइए,भव्य-ज्ञान का पंथ।

बी एस शर्मा भिलाई

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दृष्टिकोण 
भारत मां के स्वाभिमान पर बहने वाला खून हो तुम।
जो देश की खातिर जीता मरता ऐसा एक जुनून हो तुम।।

सच्चा देशभक्त जो होगा वह डटकर साथ तुम्हारा देगा।
जो दुनिया के हर रुख को बदले ऐसा बुलंद मानसून हो तुम।।

 हरेंद्र विक्रम सिंह गौर 
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