ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

मधुमास में मधुमालती मधुकामनी मधुवन में -अनामिका लेखिका शिक्षिका

मधुमास में मधुमालती मधुकामनी मधुवन में 

महक रही माधव की
रास राधा के साथ

मन ही मन मुस्कात
गोपी ग्वालों के साथ

निधिवन में श्रृंगारित
मोहन नित्याये के संग

झर झर झरत पारिजात
सत्यभामा के साथ

अधरों में मुरली मधुर
सुर ताल ओ तान के साथ

कामिनी रति रूप दर्पण
निहारे हारे मोहन मिले

मधुमास चन्द्र चमके अपार
प्रेम के वश हरिमोहन हमार

थप थप थाप ढोल मृदंग
गन्धर्व करे गान बंशी की तान

कुंज गलियन शोभा सोहे
निशा निशी मन मोही

अतुलित सौंदर्य बरने को
रास खेले बिहारी राधे के साथ

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अनामिका
लेखिका शिक्षिका
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