✍पशुओं की बारात✍
सिंह साहब की चली बारात,
बजने लगे ढोल पारात,
खरहे के गाड़ी के ऊपर ,
बैठे दूल्हे राजा ।
लंगूर बंदर ने मिल करके,
खूब बजाये बाजा।।
सुअर ,सियार, ऊंट,बकरियां,
नेवला ,घोड़ा ,भेड़ी ।
बने बराती नाच रहे थे,
उठा उठाके एड़ी।।
हस मुस्काके सिंह साहब जी,
शेरनी दुल्हन लाए।
पहन पजामा बंदर मामा,
चाट पकौड़े खाए।।
हिन हिन करके घोड़ा खाया,
में में में में बकरी।
म्याऊं म्याऊं बिल्ली खाई,
कुत्ते चाट चाटके पतरी।।
भल्लू खाया चापके अल्लू,
खा लिया बंडा पूरा गंडा।
रोझ रिझाके पिआ रस को,
लिया गटक सब हिरन ठंडा ।।
बड़ा मजा था आया मुझको,
पशू झुंड बारात में।
जब आंख खुली तो पाया कारुष,
देखा सपना रात में।।
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रचनाकार
कमलेश कुमार कारुष
प्राथमिक विद्यालय किरका, ब्लाक हलिया
जनपद मीरजापुर
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