ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

प्रथम शिक्षक "शिव" और ''सनातनधर्म''

*_🔱प्रथम शिक्षक "शिव" और  ''सनातनधर्म''🔱_*

_कहा गया 'धर्म' के सन्दर्भ में- धारयेति धर्म।_ 

_हर तत्व, धातु, वस्तु व पादप- जीव का अपना एक धर्म होता है। मानव का भी धर्म है। सृष्टि चक्र वा ब्रह्म चक्र में संचर-प्रतिसंचर धारा जो त्रिगुणात्मक सदाशिव सें 'एकोहं बहुस्यामि' भाव से नि:सृत हो नाद चित्त, पंचतत्व आदि से मानव तक की जटिल यात्रा (लाखों साल) पूर्ण कर सद्गुरु कृपा से साधना द्वारा आत्मा मन से विलग शिवत्व में पुनः विलीन हो मोक्ष प्राप्ति अर्थात भवसागर पार कर शिवमय हो जाती है, धर्म के अंतर्गत हीं आता है।_

_देवाधिदेव शिव आये लगभग ९.२५ हजार साल पहले तो क्या उन्होंने ही पहली बार सनातनधर्म की स्थापना की? या फिर पौराणिक मनु जो लगभग राजा वैवस्वत मनु का जन्म ६३८२ विक्रम संवत पूर्व अर्थात ६३२४ ईसा पूर्व  (८३०० वर्ष पूर्व) हुआ जो शिवकाल इसका मतलब कि आज से लगभग ८३४० वर्ष पूर्व राजा मनु का जन्म हुआ था। यह ९५० साल का अंतर शिव की उम्र लगभग १००० साल की धारणा को पुष्ट करता है, तभी तो शिव को शायद बूढ़ा शिव कहा गया।_

_शिव के प्रथम शिष्‍यों में की जानकारी पुराणों में मिलती है. पुराणिक सप्तऋषियों का नाम आया है। मान्यता है कि सप्तऋषियों ने भगवान शिव के ज्ञान, शैव धर्म का प्रचार प्रसार पृथ्वी पर किया था पहली बार और इसी से विभिन्‍न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई।_ 

_यह हिन्दू ही नही वरन् मुस्लिम मौलाना मुफ्ती भी राम जन्म भूमि अयोध्या वाद में अपने अल्ला ताला खुदा को नाजिर हाजिर कर न्यायालय में बयान में बोले कि मुस्लिम हिंदू विरोधी नहीं, हिंदुस्तान में रहने वाला हर शख्स हिंदू है। ये हमारा मुल्की नाम है। जब हमारे मां-बाप, खून और मुल्क एक है तो इस लिहाज से हमारा धर्म भी एक है।_

_मुफ्ती साहब ने यह भी कहा कि हमारे इस्लाम की शुरुआत यहीं हिन्दुस्तान से हुई है। शंकरजी लंगा में आए जो हमारे धर्म के सबसे पहले प्रॉफेट (पैगंबर) हैं। यह मुल्क हमारी जन्मभूमि भी है और धर्मभूमि भी।_

_यह मानते है कि भगवान शिव गुरु शिष्य परंपरा प्रारंभ की। शिव के सबसे पहले शिष्यों में बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, महेंद्र, प्राचेतस मनु, सहस्राक्ष और भारद्वाज ऋषि थे।_ 

_सनातनधर्म को हम शैवधर्म को क्यों नहीं मानें ?? और हर हिंदुस्तानी सनातनी है यह  मान कर चलना अनुचित कैसे?? निराकार वा साकार ब्रह्म की उपासना एक अलग मुद्दा है।_

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डॉ. कवि कुमार निर्मल
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