ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

सांड का दर्द - कमलेश कुमार कारुश

सांड़ का दर्द

 

मैं तो बेबस  व  लाचार  भरा  एक  सांड़  हूं,
भूखे पेट कारण से रहा खेत  को उजाड़  हूं,
पहले हम जोतते  थे  खेत  तुम्हारे  हे मानव,
पर आज टैक्टर के चक्कर हुआ  कबाड़  हूं।

पहले तुम मुझे थे बोझ  ढोने  में  लाते काम,
चारा भूसा डाल  डाल  थे  बड़  देते  आराम,
आज दुश्मनी कर  बैठे  होके  नाराज मुझसे,
दिन  रात  रहते  पीटते  सुबह  हो  या  शाम।

अबतो समझ कर दुश्मन भेज देते हो कटान,
यार कितने बड़े स्वार्थी हो दिल पत्थर समान,
अपने जान  तरह  मेरे  भी  जान  को समझ,
हे  कारुष  दो   सुरक्षा  हम  तो  हैं  बेजुबान।

कलम से
कमलेश कुमार कारुष 
मीरजापुर

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