ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

ऐसा कोई हो अजीज!-प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई

शीर्षक:-ऐसा कोई हो अजीज!

दर्द मेरा अपना है बस मेरा,
कुछ नहीं लेना देना इससे तेरा ,
क्या कहूँ किसी से अपने दर्द के बारे में, 
जब कहना चाहा दर्द ने खुद है मुझे तरेरा ।

खुद के दर्द की शिकायत, कोई किससे करे? 
जिससे करे वो हंसी में ले उड़े,
डरता बहुत है दिल दर्द से, 
पर दर्द है कि पीछा ही ना छोड़े ।

कभी-कभी तो, बहुत ज्यादा, 
दर्द में दर्द  किसी कंधे का सहारा चाहता है, 
आँखें भर-भर रोकर खाली हो जाये, 
ऐसा कोई हो अजीज, दिल हमारा चाहता है ।

पर थोड़ा डर लगता है, सब मजाक बना देगे,  
मेरे दर्द को , सरेआम नंगा जलील कर देंगे ,
यही सोच कर दुख, दर्द का पीठ थपथपाता है ।

ऐसा ही होता है हमेशा, 
अकेले रोने में दर्द है डरता, 
कहीं कोई देख ना ले,.मेरे गम को रोते हुए, 
चीखने चिल्लाने का मन करता पर, 
हर भय दर्द से डरकर आँसू पी जाता।

प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई

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