ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

विश्वासघात-राजेन्द्र सिंह श्योराण।

विश्वासघात

विष का जहां वास हो, उसे विश्वास कहते हैं।                    लोग इसी विष के चलते, बहुत कुछ सहते हैं।।                                                      
ये विष कब आघात कर दे, कुछ पता नहीं।
विश्वासघात होने पर भी, भावनाओं में बहते हैं।।

दुनिया इसी नाम पर टिकी है, ये भी है सच्चाई।
मतलब बीच में आ गया जहां, नहीं है कोई भाई।।
बस प्रोपर्टी बांटने तक ही, रिश्ता रह गया यहां।
विश्वासघात करने वाले को लोग, देते हैं बधाई।।

जिसने  किया धोखा अपनों से, फल-फूल गया।
इसीलिए किसी रिश्ते पर, विश्वास अब नहीं रहा।।
ईमानदार घूट घूट कर, जीने को मजबूर है अब।
जिसके पास पैसा बढ़ा, वो सबकुछ भूल गया।।

राजेन्द्र सिंह श्योराण।

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