ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

ग़ज़ल-रश्मि ममगाईं

🌹ग़ज़ल🌹

आंधियों से यूँ भला हमको बचाता कौन है,
फिर अंधेरी रात में दीपक जलाता कौन है।

 रोशनी की खोज में पल-पल जिया फिर मर गया,
 खुद के भीतर रोशनी को जान पाता कौन है।

हम भटकते ही रहे, इस खोज में हरदम यहाँ,
चांद तारे और सूरज जगमगाता कौन है

मोहनी माया ने देखो, मन पे डेरा है किया,
सोचता है मन मेरा सपने सजाता कौन है

 प्रेम है या प्यार है क्या झूठ है क्या सच यहां,
 सारे रिश्ते हैं ज़मीं  के साथ जाता कौन है।

🌹 रश्मि ममगाईं 🌹

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