मेरी बात चाँद के साथ
पूनम की शारदेय शाम का आप सब आनंद लीजिए
मैं सुनाती चाँद से अपनी एक मुलाक़ात
ज़रा उसपे भी ध्यान दीजिये
उन दिनो मेरी शादी तय हुई थी सो थोड़ा घबराई थी
अपनी बात किससे कहुँ यही सोच मेरी मुझे चाँद के पास लायी थी
मैने थोड़ा शरमाते हुये शब्दो को मुँह से चबाते हुये पहले खुबसूरत चाँद को निहारा
वो रात शरद पूरणिमा की थी हौले से मैने चाँद को पुकारा
एै चाँद शरद पूर्णिमा के ,तुम कितने सौम्य सरल हो
क्या मेरा चाँद शरद भी इतना ,सौम्य सरल सुंदर होगा
चाँद ने हँसके मुझसे कहा ,अरी पगली ! तु क्यूँ इतना घबराती है
छोटी सी बात पे अपना मन उदास किये जाती है
ये चाँद शरद पूर्णिमा का तो ,सारी दुनिया के लिये है
पर तेरा चाँद शरद सिर्फ़ तेरा है ,
और तु चाँदनी केवल उसके लिये है
सारी दुनिया मुझे निहारे और मै हरपल सबको ताकूँ
पर तुम दोनो इस शुभ लगन मे ,अपनी प्यारी प्रीत सँवारो
जैसे मै और मेरी चाँदनी ,इक दूजे के लिये बने हैं
वैसे शरद शुभा तुम दोनो ,इक दूजे मे रचे बसे हो
दोस्तों बात चाँद की उस दिन ,मेरे मन को जंच गयी
और चाँद की शीतल चाँदनी ,दिल मे आकर धँस गयी
अब मै बोलूँ आज चाँद से ,सुन एै चाँद शरद पूर्णिमा के
सचमुच तुझ से बड़ा भाग्य मेरा है,
तु तो सारी दुनिया का है पर ,मेरा चाँद शरद सिर्फ मेरा है
हाँ मेरा चाँद शरद सिर्फ मेरा है मै उसके दिल की महारानी,
वो मेरे दिल का राजा है
शुभा शुक्ला निशा
.jpeg)

0 Comments