ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

निर्भीक निष्पक्ष मतदान, सजग नागरिक पहचान -महेन्द्र कुमार

निर्भीक निष्पक्ष मतदान, सजग नागरिक पहचान 
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अष्टादश वय पार हर नागरिक,
अधिकृत अप्रतिम मत प्रयोग ।
निर्वहन अहम अनूप भूमिका,
निर्मित लोकतंत्र सुखद जोग ।
राष्ट्र धर्म प्रतिज्ञा अनुपालन,
उरस्थ चित्र समृद्ध हिंदुस्तान ।
निर्भीक निष्पक्ष मतदान, सजग नागरिक पहचान ।।

देश सेवा तत्पर कर्तव्य निष्ठ ,
सुयोग्य प्रतिनिधि चयन प्रयास।
जाति धर्म संकीर्णता तज,
ध्यान सर्व मंगल प्रगति उल्लास ।
सकारात्मक सोच प्रेरणा संग,
शत प्रतिशत सहभागिता आह्वान ।
निर्भीक निष्पक्ष मतदान, सजग नागरिक पहचान ।।

मत लोकतंत्र प्राण प्रतिष्ठा ,
अंतर्निहित मृदुल कामना ।
ऊर्जस्वित कर जन आस्था,
मतदान जनतंत्र आराधना ।
विकसित शिक्षित राष्ट्र स्वप्न ,
मत अंतर  सद्य: वरदान ।
निर्भीक निष्पक्ष मतदान,सजग नागरिक पहचान ।।

हर मत अद्भुत अनुपम आभा,
शक्ति भक्ति भाव अनमोल ।
वंदित कुशल नेतृत्व सुशासन ,
शासन तंत्र नैतिकता तोल ।
राष्ट्र निर्माण महायज्ञ बेला ,
मत आहूति मतदाता शान ।
निर्भीक निष्पक्ष मतदान,सजग नागरिक पहचान ।।

महेन्द्र कुमार
(स्वरचित मौलिक रचना)

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