ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

क्या हुआ आसमान नहीं है-नौशाबा जिलानी सुरिया

क्या हुआ आसमान नहीं है

मैं पंख फैलाने की तो कोशिश करूंगी 
भले कम उड़ सकूं या ज्यादा
रुकना गंवारा नही मुझे।

मैं आसमान छुने की नहीं ,
परिंदा बनने की कोशिश करुंगी 
क्या हुआ आँखे नही है तो..
मैं दिल से पढ़ने की कोशिश करुंगी 
क्या हुआ कागज का साथ नही है
मैं कलम से पत्तो पर लिखने की कोशिश करुंगी.
लेकिन मुझे रुकना नही है।

नौशाबा जिलानी सुरिया

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