ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

साँवरिया

#दिनांक:-10/6/2024
#विधा:-गीत
#शीर्षक:- साँवरिया

मोहे भूल गए साँवरिया रे
मैं घूमूॅ वन वन तेरे लिए
आने का तूने वचन दिया
कब आओगे तुम मेरे लिए ।

मैं राधा बन पाऊँ किस्मत नहीं
मैं मीरा बन गाऊँ स्वर ही नहीं
मैं मैया बन पाऊँ जोग नहीं
मैं प्रेयसी बन जाऊँ लोभ नहीं
रुक्मिणी बन तेरी दास बनूँ
नहीं लकीर भाग्य ऐसा है
मोहे भूल गए साँवरिया रे
मैं दर दर भटकूँ तेरे लिए ।1।

बंशीधर मोहन भगवन रे
गोकुल के सोहन शोभन रे
भर चित्र आखियन रोवत रे
पग तेरा अंसुवन धोवत रे
बचपन की साक्षात्कार करूँ
मै तो कोई गोपी नहीं
मैं तुझसे बारम्बार मिलूँ 
बनाओ अहो भाग्य मेरे लिए
मोहे भूल गए साँवरिया रे
मैं तडपू एक दरस के लिए ।2।

(स्वरचित, मौलिक, सर्वाधिकार सुरक्षित है)
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई

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