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मैं जोरावर सिंह
आज सपथ लेता हूं
जब तक नील गगन में
तारें टिम टिम होंगे
तब तक भारतीय संस्कृति
की आभा अमर रहेंगी
चाहे मुझको कोई सूली पर टांगें
चाहे दिवालों पर जिंदा चुनवा दें
पर मान न घटने देंगे
मातृभूमि का
मान न घटने देंगे गुरु गोविन्द सिंह का
चाहे प्राणों की बलि दे देंगे
आज सपथ मैं लेता हूं
मैं जोरावर सिंह
अपनी संस्कृति के लाने प्राणों की
आहुति देता हूं
आओ तुम भी सपथ करों
अपनी संस्कृति अपने देश
अपने माता-पिता का गौरव
नहीं मिटने देंगे
मै फतह सिंह
सपथ लेता हूं
इस नन्ही काया को
कमजोर समझना ना
अपनी संस्कृति अपना गौरव
प्राणों से भी प्यारा है
चाहे तुम शीश काट दो
तलवारों से
चाहे जिंदा चुनवा दो
गद्दारों से
पर मैं हार नहीं मानूंगा
अपने प्राणों की आज हंसी खुशी
से बलि देता हूं
मैं फतह सिंह हूं मैं फतह सिंह हूं
जय हिन्द जय हिन्द जय भारत
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भारत दास "कौन्तेय" सतना मध्यप्रदेश
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