ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005

 सूचना का अधिकार अधिनियम2005

सूचना का अधिकार अधिनियम (Right to Information Act) भारत के संसद द्वारा पारित एक कानून है जो 12 अक्तूबर, 2005 को लागू हुआ (15 जून, 2005 को इसके कानून बनने के 120 वें दिन)। भारत में भ्रटाचार को रोकने और समाप्त करने के लिये इसे बहुत ही प्रभावी कदम बताया जाता है। इस नियम के द्वारा भारत के सभी नागरिकों को सरकारी रेकार्डों और प्रपत्रों में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया गया है। जम्मू एवं काश्मीर मे यह जम्मू एवं काश्मीर सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत लागू है।

सूचना का अधिकार क्या है?

संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत सूचना का अधिकार मौलिक अधिकारों का एक भाग है. अनुच्छेद 19(1) के अनुसार प्रत्येक नागरिक को बोलने तथा अभिव्यक्ति का अधिकार है. 1976 में सर्वोच्च न्यायालय ने "राज नारायण विरुद्ध उत्तर प्रदेश सरकार" मामले में कहा है कि लोग कह और अभिव्यक्त नहीं कर सकते जब तक कि वो न जानें. इसी कारण सूचना का अधिकार अनुच्छेद 19 में छुपा है. इसी मामले मेंसर्वोच्च न्यायालय ने आगे कहा कि भारत एक लोकतंत्र है. लोग मालिक हैं. इसलिए लोगों को यह जानने का अधिकार है कि सरकारें जो उनकी सेवा के लिए हैंक्या कर रहीं हैं? तथा प्रत्येक नागरिक कर/ टैक्स देता है. यहाँ तक कि एक गली में भीख मांगने वाला भिखारी भी टैक्स देता है जब वो बाज़ार से साबुन खरीदता है.(बिक्री करउत्पाद शुल्क आदि के रूप में). नागरिकों के पास इस प्रकार यह जानने का अधिकार है कि उनका धन किस प्रकार खर्च हो रहा है. इन तीन सिद्धांतों को सर्वोच्च न्यायालय ने रखा कि सूचना का अधिकार हमारे मौलिक अधिकारों का एक हिस्सा हैं.

यदि सूचना का अधिकार एक मौलिक अधिकार हैतो हमें यह अधिकार देने के लिए एक कानून की आश्यकता क्यों है?

ऐसा इसलिए है क्योंकि यदि आप किसी सरकारी विभाग में जाकर किसी अधिकारी से कहते हैं, "सूचना का अधिकार मेरा मौलिक अधिकार हैऔर मैं इस देश का मालिक हूँ. इसलिए मुझे आप कृपया अपनी फाइलें दिखायिए"वह ऐसा नहीं करेगा. तथा संभवतः वह आपको अपने कमरे से निकाल देगा. इसलिए हमें एक ऐसे तंत्र अथवा प्रक्रिया की आवश्यकता है जिसके तहत हम अपने इस अधिकार का प्रयोग कर सकें. सूचना का अधिकार 2005, जो 13 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ हमें वह तंत्र प्रदान करता है. इस प्रकार सूचना का अधिकार हमें कोई नया अधिकार नहीं देता. यह केवल उस प्रक्रिया का उल्लेख करता है कि हम कैसे सूचना मांगेंकहाँ से मांगेकितना शुल्क दें आदि.

सूचना का अधिकार कब लागू हुआ?

केंद्रीय सूचना का अधिकार 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ. हालांकि राज्य सरकारें पहले ही राज्य कानून पारित कर चुकीं थीं. ये थीं: जम्मू कश्मीरदिल्लीराजस्थानमध्य प्रदेशमहाराष्ट्रकर्नाटकतमिलनाडुअसम और गोवा.

सूचना के अधिकार के अर्न्तगत कौन से अधिकार आते हैं?

सूचना का अधिकार 2005 प्रत्येक नागरिक को शक्ति प्रदान करता है कि वो:

  • सरकार से कुछ भी पूछे अथवा कोई भी सूचना मांगे.
  • किसी भी सरकारी निर्णय की प्रति ले.
  • किसी भी सरकारी दस्तावेज का निरीक्षण करे.
  • किसी भी सरकारी कार्य का निरीक्षण करे.
  • किसी भी सरकारी कार्य के पदार्थों के नमूने ले.

सूचना के अधिकार के अर्न्तगत कौन से अधिकार आते हैं?

केन्द्रीय कानून जम्मू कश्मीर राज्य के अतिरिक्त पूरे देश पर लागू होता है. सभी इकाइयां जो संविधान, अथवा अन्य कानून अथवा किसी सरकारी अधिसूचना के अधीन बनी हैं अथवा सभी इकाइयां जिनमें गैर सरकारी संगठन शामिल हैं जो सरकार के होंसरकार द्वारा नियंत्रित अथवा वित्त- पोषित किये जाते हों.

"वित्त पोषित" क्या है?

इसकी परिभाषा न ही सूचना का अधिकार कानून और न ही किसी अन्य कानून में दी गयी है. इसलिए यह मुद्दा समय के साथ शायद किसी न्यायालय के आदेश द्वारा ही सुलझ जायेगा.

क्या निजी इकाइयां सूचना के अधिकार के अर्न्तगत आती हैं?

सभी निजी इकाइयांजोकि सरकार की हैंसरकार द्वारा नियंत्रित अथवा वित्त- पोषित की जाती हैं सीधे ही इसके अर्न्तगत आती हैं. अन्य अप्रत्यक्ष रूप से इसके अर्न्तगत आती हैं. अर्थातयदि कोई सरकारी विभाग किसी निजी इकाई से किसी अन्य कानून के तहत सूचना ले सकता हो तो वह सूचना कोई नागरिक सूचना के अधिकार के अर्न्तगत उस सरकारी विभाग से ले सकता है.

क्या सरकारी दस्तावेज गोपनीयता कानून 1923 सूचना के अधिकार में बाधा नहीं है?

नहींसूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अनुच्छेद 22 के अनुसार सूचना का अधिकार कानून सभी मौजूदा कानूनों का स्थान ले लेगा.

क्या लोक सूचना अधिकारी सूचना देने से मना कर सकता है?

एक लोक सूचना अधिकारी सूचना देने से मना उन 11 विषयों के लिए कर सकता है जो सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुच्छेद में दिए गए हैं. इनमें विदेशी सरकारों से प्राप्त गोपनीय सूचनादेश की सुरक्षारणनीतिकवैज्ञानिक अथवा आर्थिक हितों की दृष्टि से हानिकारक सूचनाविधायिका के विशेषाधिकारों का उल्लंघन करने वाली सूचनाएं आदि. सूचना का अधिकार अधिनियम की दूसरी अनुसूची में उन 18 अभिकरणों की सूची दी गयी है जिन पर ये लागू नहीं होता. हालांकि उन्हें भी वो सूचनाएं देनी होंगी जो भ्रष्टाचार के आरोपों तथा मानवाधिकारों के उल्लंघन से सम्बंधित हों.

क्या अधिनियम विभक्त सूचना के लिए कहता है?

हाँसूचना का अधिकार अधिनियम के दसवें अनुभाग के अंतर्गत दस्तावेज के उस भाग तक पहुँच बनायीं जा सकती है जिनमें वे सूचनाएं नहीं होतीं जो इस अधिनियम के तहत भेद प्रकाशन से अलग रखी गयीं हैं.

क्या फाइलों की टिप्पणियों तक पहुँच से मना किया जा सकता है?

नहींफाइलों की टिप्पणियां सरकारी फाइल का अभिन्न अंग हैं तथा इस अधिनियम के तहत भेद प्रकाशन की विषय वस्तु हैं. ऐसा केंद्रीय सूचना आयोग ने 31 जनवरी 2006 के अपने एक आदेश में स्पष्ट कर दिया है.

मुझे सूचना कौन देगा?

एक अथवा अधिक अधिकारियों को प्रत्येक सरकारी विभाग में जन सूचना अधिकारी (लोक सूचना अधिकारी) का पद दिया गया है. ये जन सूचना अधिकारी प्रधान अधिकारियों के रूप में कार्य करते हैं. आपको अपनी आवेदन/अर्जी इनके पास दाखिल करनी होती है. यह उनका उत्तरदायित्व होता है कि वे उस विभाग के विभिन्न भागों से आपके द्वारा मांगी गयी जानकारी इकठ्ठा करें तथा आपको प्रदान करें. इसके अलावाकई अधिकारियों को सहायक जन सूचना अधिकारी के पद पर सेवायोजित किया गया है. उनका कार्य केवल जनता से अर्जियां स्वीकारना तथा उचित लोक सूचना अधिकारी के पास भेजना है.

अपनी आवेदन/अर्जी मैं कहाँ जमा करुँ?

आप ऐसा लोक सूचना अधिकारी अथवा सहायक लोक सूचना अधिकारी के पास कर सकते हैं. केंद्र सरकार के विभागों के मामलों में, 629 डाकघरों को सहायक लोक सूचना अधिकारी बनाया गया है. अर्थात् आप इन डाकघरों में से किसी एक में जाकर सूचना का अधिकार पटल पर अपनी आवेदन/अर्जी तथा फी जमा करा सकते हैं. वे आपको एक रसीद तथा आभार जारी करेंगे और यह उस डाकघर का उत्तरदायित्व है कि वो उसे उचित लोक सूचना अधिकारी के पास भेजे.

क्या इसके लिए कोई फी हैमैं इसे कैसे जमा करुँ?

हाँएक आवेदन/अर्जी फी होती है. केंद्र सरकार के विभागों के लिए यह 10रु. है. हालांकि विभिन्न राज्यों ने भिन्न फीसें रखीं हैं. सूचना पाने के लिएआपको 2रु. प्रति सूचना पृष्ठ केंद्र सरकार के विभागों के लिए देना होता है. यह विभिन्न राज्यों के लिए अलग- अलग है. इसी प्रकार दस्तावेजों के निरीक्षण के लिए भी फी का प्रावधान है. निरीक्षण के पहले घंटे की कोई फी नहीं है लेकिन उसके पश्चात् प्रत्येक घंटे अथवा उसके भाग की 5रु. प्रतिघंटा फी होगी. यह केन्द्रीय कानून के अनुसार है. प्रत्येक राज्य के लिएसम्बंधित राज्य के नियम देखें. आप फी नकद मेंडीडी अथवा बैंकर चैक अथवा पोस्टल आर्डर जो उस जन प्राधिकरण के पक्ष में देय हो द्वारा जमा कर सकते हैं. कुछ राज्यों मेंआप कोर्ट फी टिकटें खरीद सकते हैं तथा अपनी आवेदन/अर्जी पर चिपका सकते हैं. ऐसा करने पर आपकी फी जमा मानी जायेगी. आप तब अपनी आवेदन/अर्जी स्वयं अथवा डाक से जमा करा सकते हैं.

मुझे क्या करना चाहिए यदि लोक सूचना अधिकारी अथवा सम्बंधित विभाग मेरी आवेदन/अर्जी स्वीकार न करे?

आप इसे डाक द्वारा भेज सकते हैं. आप इसकी औपचारिक शिकायत सम्बंधित सूचना आयोग को भी अनुच्छेद 18 के तहत करें. सूचना आयुक्त को उस अधिकारी पर 25000रु. का दंड लगाने का अधिकार है जिसने आपकी आवेदन/अर्जी स्वीकार करने से मना किया था.

क्या सूचना पाने के लिए आवेदन/अर्जी का कोई फॉर्म है?

केंद्र सरकार के विभागों के लिएकोई फॉर्म नहीं है. आपको एक सादा कागज़ पर एक सामान्य आवेदन/अर्जी की तरह ही आवेदन/अर्जी देनी चाहिए. हालांकि कुछ राज्यों और कुछ मंत्रालयों तथा विभागों ने फॉर्म निर्धारित किये हैं. आपको इन प्रारूपों पर ही आवेदन/अर्जी देनी चाहिए. कृपया जानने के लिए सम्बंधित राज्य के नियम पढें.

मैं सूचना के लिए कैसे आवेदन/अर्जी दूं?

एक साधारण कागज़ पर अपनी आवेदन/अर्जी बनाएं और इसे लोक सूचना अधिकारी के पास स्वयं अथवा डाक द्वारा जमा करें. (अपनी आवेदन/अर्जी की एक प्रति अपने पास निजी सन्दर्भ के लिए अवश्य रखें)

मैं अपनी आवेदन/अर्जी की फी कैसे दे सकता हूँ?

प्रत्येक राज्य का आवेदन/अर्जी फी जमा करने का अलग तरीका है. साधारणतयाआप अपनी आवेदन/अर्जी की फी ऐसे दे सकते हैं:

  • स्वयं नकद भुगतान द्वारा (अपनी रसीद लेना न भूलें)
  • डाक द्वारा:

डिमांड ड्राफ्ट से

भारतीय पोस्टल आर्डर से

मनी आर्डर से [केल कुछ राज्यों में]

कोर्ट फी टिकट से [केल कुछ राज्यों में]

बैंकर चैक से

  • कुछ राज्य सरकारों ने कुछ खाते निर्धारित किये हैं. आपको अपनी फी इन खातों में जमा करानी होती है. इसके लिएआप एसबीआई की किसी शाखा में जा सकते हैं और राशि उस खाते में जमा करा सकते हैं और जमा रसीद अपनी सूचना का अधिकार आवेदन/अर्जी के साथ लगा सकते हैं. अथवा आप अपनी सूचना का अधिकार आवेदन/अर्जी के साथ उस विभाग के पक्ष में देय डीडी अथवा एक पोस्टल आर्डर भी लगा सकते हैं.

क्या मैं अपनी आवेदन/अर्जी केल लोक सूचना अधिकारी के पास ही जमा कर सकता हूँ?

नहींलोक सूचना अधिकारी के उपलब्ध न होने की स्थिति में आप अपनी आवेदन/अर्जी सहायक लोक सूचना अधिकारी अथवा अन्य किसी आवेदन/अर्जी लेने के लिए नियुक्त अधिकारी के पास आवेदन/अर्जी जमा कर सकते हैं.

क्या करूँ यदि मैं अपने लोक सूचना अधिकारी अथवा सहायक लोक सूचना अधिकारी का पता न लगा पाऊँ?

यदि आपको लोक सूचना अधिकारी अथवा सहायक लोक सूचना अधिकारी का पता लगाने में कठिनाई होती है तो आप अपनी आवेदन/अर्जी लोक सूचना अधिकारी c/o विभागाध्यक्ष को प्रेषित कर उस सम्बंधित जन प्राधिकरण को भेज सकते हैं. विभागाध्यक्ष को वह आवेदन/अर्जी सम्बंधित लोक सूचना अधिकारी के पास भेजनी होगी.

क्या मुझे आवेदन/अर्जी देने स्वयं जाना होगा?

आपके राज्य के फी जमा करने के नियमानुसार आप अपनी आवेदन/अर्जी सम्बंधित राज्य के विभाग में आवेदन/अर्जी के साथ डीडीमनी आर्डरपोस्टल आर्डर अथवा कोर्ट फी टिकट संलग्न करके डाक द्वारा भेज सकते हैं. केंद्र सरकार के विभागों के मामलों में, 629 डाकघरों को सहा. लोक सूचना अधिकारी बनाया गया है. अर्थात् आप इन डाकघरों में से किसी एक में जाकर सूचना का अधिकार पटल पर अपनी आवेदन/अर्जी तथा फी जमा करा सकते हैं. वे आपको एक रसीद तथा आभार जारी करेंगे और यह उस डाकघर का उत्तरदायित्व है कि वो उसे उचित लोक सूचना अधिकारी के पास भेजे.

क्या सूचना प्राप्ति की कोई समय सीमा है?

हाँयदि आपने अपनी आवेदन/अर्जी लोक सूचना अधिकारी को दी हैआपको 30 दिनों के भीतर सूचना मिल जानी चाहिए. यदि आपने अपनी आवेदन/अर्जी सहायक लोक सूचना अधिकारी को दी है तो सूचना 35 दिनों के भीतर दी जानी चाहिए. उन मामलों में जहाँ सूचना किसी एकल के जीवन और स्वतंत्रता को प्रभावित करती होसूचना 48 घंटों के भीतर उपलब्ध हो जानी चाहिए.

क्या मुझे कारण बताना होगा कि मुझे फलां सूचना क्यों चाहिए?

बिलकुल नहींआपको कोई कारण अथवा अन्य सूचना केवल अपने संपर्क विवरण (जो हैं नामपताफोन न.) के अतिरिक्त देने की आवश्यकता नहीं है. अनुच्छेद 6(2) स्पष्टतः कहता है कि प्रार्थी से संपर्क विवरण के अतिरिक्त कुछ नहीं पूछा जायेगा.

क्या लोक सूचना अधिकारी मेरी सूचना का अधिकार आवेदन/अर्जी लेने से मना कर सकता है?

नहींलोक सूचना अधिकारी आपकी सूचना का अधिकार आवेदन/अर्जी लेने से किसी भी परिस्थिति में मना नहीं कर सकता. चाहें वह सूचना उसके विभाग/ कार्यक्षेत्र में न आती होउसे वह स्वीकार करनी होगी. यदि आवेदन/अर्जी उस लोक सूचना अधिकारी से सम्बंधित न होउसे वह उपयुक्त लोक सूचना अधिकारी के पास दिनों के भीतर अनुच्छेद 6(2) के तहत भेजनी होगी.

क्या कानून असरदार हैं  ?

यह कानून पहले ही कर रहा है. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार कोई कानून किसी अधिकारी की अकर्मण्यता के प्रति जवाबदेही निर्धारित करता है. यदि सम्बंधित अधिकारी समय पर सूचना उपलब्ध नहीं कराता हैउस पर 250रु. प्रतिदिन के हिसाब से सूचना आयुक्त द्वारा जुर्माना लगाया जा सकता है. यदि दी गयी सूचना गलत है तो अधिकतम 25000रु. तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. जुर्माना आपकी आवेदन/अर्जी गलत कारणों से नकारने अथवा गलत सूचना देने पर भी लगाया जा सकता है. यह जुर्माना उस अधिकारी के निजी वेतन से काटा जाता है.

क्या अब तक कोई जुमाना लगाया गया है?

हाँकुछ अधिकारियों पर केन्द्रीय तथा राज्यीय सूचना आयुक्तों द्वारा जुर्माना लगाया गया है.

क्या लोक सूचना अधिकारी पर लगे जुर्माने की राशि प्रार्थी को दी जाती है?

नहींजुर्माने की राशि सरकारी खजाने में जमा हो जाती है. हांलांकि अनुच्छेद 19 के तहतप्रार्थी मुआवजा मांग सकता है.

मैं क्या कर सकता हूँ यदि मुझे सूचना न मिले?

यदि आपको सूचना न मिले अथवा आप प्राप्त सूचना से संतुष्ट न होंआप अपीलीय अधिकारी के पास सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुच्छेद 19(1) के तहत एक अपील दायर कर सकते हैं.

पहला अपीलीय अधिकारी कौन होता है?

प्रत्येक जन प्राधिकरण को एक पहला अपीलीय अधिकारी बनाना होता है. यह बनाया गया अधिकारी लोक सूचना अधिकारी से वरिष्ठ रैंक का होता है.

क्या प्रथम अपील का कोई फॉर्म होता है?

नहींप्रथम अपील का कोई फॉर्म नहीं होता (लेकिन कुछ राज्य सरकारों ने फॉर्म जारी किये हैं). एक सादा पन्ने पर प्रथम अपीली अधिकारी को संबोधित करते हुए अपनी अपीली आवेदन/अर्जी बनाएं. इस आवेदन/अर्जी के साथ अपनी मूल आवेदन/अर्जी तथा लोक सूचना अधिकारी से प्राप्त जैसे भी उत्तर (यदि प्राप्त हुआ हो) की प्रतियाँ लगाना न भूलें.

क्या मुझे प्रथम अपील की कोई फी देनी होगी?

नहींआपको प्रथम अपील की कोई फी नहीं देनी होगीकुछ राज्य सरकारों ने फी का प्राव्धान किया है.

कितने दिनों में मैं अपनी प्रथम अपील दायर कर सकता हूँ?

आप अपनी प्रथम अपील सूचना प्राप्ति के 30 दिनों तथा सूचना का अधिकार आवेदन/अर्जी दाखिल करने के 60 दिनों के भीतर दायर कर सकते हैं.

क्या करें यदि प्रथम अपीली प्रक्रिया के बाद मुझे सूचना न मिले?

यदि आपको प्रथम अपील के बाद भी सूचना न मिले तो आप द्वितीय अपीली चरण तक अपना मामला ले जा सकते हैं. आप प्रथम अपील सूचना मिलने के 30 दिनों के भीतर तथा सूचना का अधिकार आवेदन/अर्जी के 60 दिनों के भीतर (यदि कोई सूचना न मिली हो) दायर कर सकते हैं.

द्वितीय अपील क्या है?

द्वितीय अपील सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सूचना प्राप्त करने का अंतिम विकल्प है. आप द्वितीय अपील सूचना आयोग के पास दायर कर सकते हैं. केंद्र सरकार के विभागों के विरुद्ध आपके पास केद्रीय सूचना आयोग है. प्रत्येक राज्य सरकार के लिएराज्य सूचना आयोग हैं.

क्या द्वितीय अपील के लिए कोई फॉर्म है?

नहींद्वितीय अपील के लिए कोई फॉर्म नहीं है (लेकिन राज्य सरकारों ने द्वितीय अपील के लिए भी फॉर्म निर्धारित किए हैं). एक सादा पन्ने पर केद्रीय अथवा राज्य सूचना आयोग को संबोधित करते हुए अपनी अपीली आवेदन/अर्जी बनाएं. द्वितीय अपील दायर करने से पूर्व अपीली नियम ध्यानपूर्वक पढ लें. आपकी द्वितीय अपील निरस्त की जा सकती है यदि वह अपीली नियमों को पूरा नहीं करती है.

क्या मुझे द्वितीय अपील के लिए फी देनी होगी?

नहींआपको द्वितीय अपील के लिए कोई फी नहीं देनी होगी. हांलांकि कुछ राज्यों ने इसके लिए फी निर्धारित की है.

मैं कितने दिनों में द्वितीय अपील दायर कर सकता हूँ?

आप प्रथम अपील के निष्पादन के 90 दिनों के भीतर अथवा उस तारीख के 90 दिनों के भीतर कि जब तक आपकी प्रथम अपील निष्पादित होनी थीद्वितीय अपील दायर कर सकते हैं.

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