ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

आज का युवा-अर्कवंशी पंकज सिंह "दिनकर"

युवा आज गुमराह है करे हवाई बात
एक दूजे को दे रहे बड़ी बड़ी सौगात,
बढ़ चढ़ के हैं बोलते, बातें करें अपार,
मिनटों में झगड़ा कर देते,महिमा अपरम्पार 
काम नहीं कुछ करते दिन भर, बाते करें हजार, 
संगति इनकी गजब है, इन पर करें विचार,

हवा महल में गढ़ रहे, सपनों का संसार,
दया भाव इनमे नहीं करे सदा व्यभिचार,
दुनियां मे इनके बहुत, अद्भुत हैं मतवाले,
इनकी गंदी चाल से परेशान घर वाले,
कह दिनकर कवि राय, जगत में इनकी अटपट चाल,
हवामहल में रह रहे, हवा हवाई हाल.!!
      

                                                                                   रचनाकार
अर्कवंशी पंकज सिंह "दिनकर"
                                                            लखनऊ, उ0प्र0

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