ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

तु खुदकी खोज में निकल-पथिक

तु खुदकी खोज में निकल-पथिक



 तु खुदकी खोज में निकल,
 तुझे किसकी तलाश हैं,
 तु निराशा के  बादलोसे आशा का सावन है ।।  
 तु कोहिनूर सा हिरा है, 
तुझे क्यों सितारो की तलाश है।

तु खुद हमराही है, हमसफर  क्यो तलाश है ।
तु खुद सावन सा निर्मल है.
तुझे क्यू गलतियों पर निराशा है
आशा का पेड हैं ।

तु निराशा को जड 'से उखाड़.
तु हस्ता हुआ बगीचा हू, 
तु गुजरता हुआ रास्ता है
तु आसमान की उड़ान है
तु खुद एक पहचान.
तु खुदकी खोज में निकल।
   
       नौशाबा सुरीया
       महाराष्ट्र सिंदी (रे)

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