ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

दिलबर तेरी परछाई हूँ

#दिनांक:-17/6/2025
#मात्राभार:-16
#सजल
#शीर्षक:-दिलबर तेरी परछाई हूँ

दूर जाकर लौट आई हूँ । 
दिलबर तेरी परछाई हूँ ।।1।

कट जाए जिन्दगी प्रेम से ।
मैं कसम प्रेम की खाई हूँ ।।2।

कालिमा चाहे हो अमावस ।
पर नेह-चांदनी पाई हूँ ।।3।

हर अनर्थ किया तूने मगर,
मैं बनी नहीं तन्हाई हूँ ।।4।

सहारा बस पाने के लिए, 
अनगिन बार लड़खड़ाई हूँ ।।5।

तू नहीं बाकी बचा मुझमें, 
सीखती धैर्य की लड़ाई हूँ ।।6।

आम सी, विशिष्ट प्रकृति रखती 
ग्रंथ की प्रतिभा भलाई हूँ ।।7।

(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई

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