ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

जड़ खोद डालेंगे

#दिनांक:-11/5/2025
#समय:-10/45सुबह
#गीत
#शीर्षक:- जड़ खोद डालेंगे।

अब तेरे खत का जवाब नहीं दे पाऊँगा माँ,
जा रहा हूँ, अब शायद ही लौट पाऊँगा माँ,
नहीं होता, हर किसी के सौभाग्य में लड़ना,
देश की आन-बान- शान बचाऊँगा माँ |टेक

युद्ध शुरू, चलो दुश्मन को धूल चटाते हैं, 
मन में हुंकार भर, भारतीय शेर गुर्राते हैं। 
इस अंधड़ में स्वयं के साहस को तोलो,
जहन्नुम की राह हम,शत्रु को दिखलाते हैं, 
मैं हिन्दुस्तानी,दुष्ट को पौरुष दिखाऊंगा माँ।
अब तेरे खत का जवाब नहीं दे पाऊँगा माँ,
जा रहा हूँ, अब शायद ही लौट पाऊँगा माँ।।1।

तूफानों को ही मिलते हैं, तूफानी हालात,
तूफ़ानों की ओर घुमा दो नाविक पतवार, 
माँ आज जड़ ही खोद डालेंगे दुश्मनों का,
आजीवन आँचल का ना छोड़ेंगे मझधार। 
तेरा चरण चूम कर सुजीत कहलाऊंगा माँ। 
अब तेरे खत का जवाब नहीं दे पाऊँगा माँ,
जा रहा हूँ, अब शायद ही लौट पाऊँगा माँ।।2।

रचना मौलिक, स्वरचित और सर्वाधिक सुरक्षित है|
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई

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