।।रचना शीर्षक।।
।।जो मकान को घर बना दे ,वो पत्नी होती है।।
।।विधा।।मुक्तक।।
1
जो एक कि सौ सुना दे वो पत्नी होती है।
जो भक्ति की लौ जगा दे वो पत्नी होती है।।
सुबह सबेरे जो जगाये हमें पीने को चाय।
जो फरमाइश की रौ लगा दे वो पत्नी होती है।।
2
जो दिन में तारे दिखला दे वो पत्नी होती है।।
जो तुम्हारा भविष्य बता दे वो पत्नी होती है।
बच्चों की भी जो रोज़ करे खूब देख भाल।।
रोज़ ताज़ा खाना खिला दे वो पत्नी होती है।।
3
जो बिना रुके भाषण पिला दे पत्नी होती है।
जो कपड़े रोज़ धुले पहना दे वो पत्नी होती है।।
जो भूल जाये अपनी बीमारी हमारी बीमारी में।
जो रिश्तेदारी का ज्ञान सीखा दे वो पत्नी होती है।।
4
जो तरीके से त्यौहार मनवा दे वो पत्नी होती है।
जो शॉपिंग में घंटों लगा दे वो पत्नी होती है।।
मायके की बुराई सुन कर जो खोल दे जन्मकुंडली।
जो घर में ही पकवान खिला दे वो पत्नी होती है।।
5
जो सारे घर को महका दे वो पत्नी होती है।
हर सफर में कदम से कदम मिला दे पत्नी होती है।।
जिसके होने से जीवन को मिल जाये अर्थ जीने का।
जो मकान को घर बना दे वो पत्नी होती है।।
रचयिता
।। एस के कपूर "श्री हंस"
बरेली।।

0 Comments