👉 पितरों को श्रद्धा दें, वे शक्ति देंगे
मरने के बाद क्या होता है? इस प्रश्न के उत्तर में विभिन्न धर्मों में विभिन्न प्रकार की मान्यताएं हैं। हिन्दूधर्म शास्त्रों में भी कितने ही प्रकार से परलोक की स्थिति और वहां आत्माओं के निवास का वर्णन किया है। इन मत भिन्नताओं के कारण सामान्य मनुष्य का चित्त भ्रम में पड़ता है कि इन परस्पर विरोधी प्रतिपादनों में क्या सत्य है क्या असत्य?
इतने पर भी एक तथ्य नितान्त सत्य है कि मरने के बाद भी जीवात्मा का अस्तित्व समाप्त नहीं हो जाता वरन् वह किसी न किसी रूप में बना ही रहता है। मरने के बाद पुनर्जन्म के अनेकों प्रमाण इस आधार पर बने रहते हैं कि कितने ही बच्चे अपने पूर्व जन्म के स्थानों सम्बन्धियों और घटनाक्रमों का ऐसा परिचय देते हैं जिन्हें यथार्थता की कसौटी पर कसने में यह विवरण सत्य ही सिद्ध होता है। अपने पूर्व जन्म से बहुत दूर किसी स्थान पर जन्मे बच्चे का पूर्व जन्म के ऐसे विवरण बताने लगना, जो परीक्षा करने पर सही निकलें, इस बात का प्रमाण बताता है कि मरने के बाद पुनः जन्म भी होता है।
मरण और पुनर्जन्म के बीच के समय में जो समय रहता है उसमें जीवात्मा क्या करता है? कहां रहता है? आदि प्रश्नों के सम्बन्ध में भी विभिन्न प्रकार के उत्तर हैं पर उनमें भी एक बात सही प्रतीत होती है कि उस अवधि में उसे अशरीरी किन्तु अपना मानवी अस्तित्व बनाये हुए रहना पड़ता है। जीवन मुक्त आत्माओं की बात दूसरी है। वे नाटक की तरह जीवन का खेल खेलती हैं और अभीष्ट उद्देश्य पूरा करने के उपरान्त पुनः अपने लोग को लौट जाती हैं।
इन्हें वस्तुओं, स्मृतियों, घटनाओं एवं व्यक्तिओं का न तो मोह होता है और न उनकी कोई छाप इन पर रहती है। किन्तु सामान्य आत्माओं के बारे में यह बात नहीं है। वे अपनी अतृप्त कामनाओं, विछोह, संवेदनाओं, राग-द्वेष की प्रतिक्रियाओं से उद्विग्न रहती हैं। फलतः मरने से पूर्व वाले जन्मकाल की स्मृति उन पर छाई रहती है और अपनी अतृप्त अभिलाषाओं को पूर्ण करने के लिए ताना-बाना बुनती रहती हैं। पूर्ण शरीर न होने से वे कुछ अधिक तो नहीं कर सकतीं, पर सूक्ष्म शरीर से भी वे जिस-तिस को अपना परिचय देती हैं। इस स्तर की आत्माएं भूत कहलाती हैं। वे दूसरों को डराती या दबाव देकर अपनी अतृप्त अभिलाषाएं पूरी करने को सहायता करने के लिए बाधित करती हैं।
भूतों के अनुभव प्रायः डरावने और हानिकारक ही होते हैं। पर जो आत्माएं भिन्न प्रकृति की होती हैं, वे डराने, उपद्रव करने से विरत ही रहती हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति भवन में समय-समय पर जिन पितरों के अस्तित्व अनुभव में आते रहते हैं उनके आधार पर यह मान्यता बन गई है कि वहां पिछले कई राष्ट्रपतियों की प्रेतात्माएं डेरा डाले पड़ी हैं। इनमें अधिक बार अपने अस्तित्व का परिचय देने वाली आत्मा अब्राहमलिंकन की है।
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

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