दुर्गा मां पर गीत
देखी नवरात्र आइल,
बस दुर्गा दुर्गा छाइल,
जय जय दुर्गा मइया,
दुर्गा दिल से भाइल,
दुर्गा के महिमा अपार बानी,
दुर्गा जी जग तारणहार बानी।
चम चम चम रहल,चांद जइसन चुनरी,
गले में सोहित हार, अंगुली में मुनरी,
सोहे मुकुट सर, आभा अति पावन,
माई के जय गान, चहु ओरी छावन,
महिषा सुर मर्दाली माई, चढ़के सिंह सवारी,
अत्याचार भइल खतम, शोषित दई उबारी,
ओ जन जन माई उद्धार बानी,
दुर्गा जी जग तारणहार बानी।
फर फर फहर रहल,माई के पताका,
ढम ढम ढोल बजत,हर ओरी ताका,
भजन कीर्तन मिलि सब,नाच नाच गाते,
दुर्गा माई दर्शन बदे, जन जन आते,
माई के दरबार सजल बा,भक्तों की भीड़ भारी,
आइल बानी दरश करें, मइया देव उबारी,
दिल से नमन कारुष धार बानी,
दुर्गा जी जग तारणहार बानी।।
कलम से
कमलेश कुमार कारुष
मिर्जापुर

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