ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

गांधी बनकर रहना है (कविता)-आदित्य कुमार (बाल कवि)

गांधी बनकर रहना है (कविता)

गांधी जी अवतार धरा पर भारत के खातिर आए,
सत्य, अहिंसा परमधर्म है हम सबको ये बतलाए,

बिना किसी हथियार उठाए अंग्रेज़ो से जंग किया,
मीठी मीठी मुस्कानों से अंग्रेजों को तंग किया,

बापू तुमने देश के खातिर हर संभव बलिदान दिया,
अपना हर सुख त्यागा हमको स्वतंत्र हिंदुस्तान दिया,

भारत मां की आजादी का आधा श्रेय तुम्हारा है,
क्योंकि केवल हिंसा से दुश्मन कब तक ही हारा है?

तुममें तो कुछ बात गजब थी तभी तो विश्व ने पूजा था,
हां बापू ये बिल्कुल सच है तुमसा ना कोई दूजा था।

दुश्मन के भी थे आदर्श तुम सबके मन को मोह लिया,
पर एक हत्यारे के कारण तुमको हमने खो ही दिया,

आज गलत वो कहते तुमको जिनका खुद अस्तित्व नहीं,
तुम सबके दिल के राजा थे, इनका खुद पे स्वामित्व नहीं!

लाख बुरा जो कहता तुमको उनको इतना कहना है,
तुम गाली दो बेजजती करो, हमको गांधी बन रहना है।।

आदित्य कुमार
(बाल कवि)

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