वृद्धजनों की दुवाएं
वृद्धजनों की दिव्य दुवाएं रहतीं जिसके पास।
काम कभी ना उसके रुकते होता नही हताश।
वृद्धजनों की जिस पर छाया बनते उसके काम।
नित्य दुवाएं देते रहते खिल जाए निज धाम।
कभी दुखाना ना इनका दिल इनसे ही संसार।
वृद्धजनों की दिव्य दुवाएं नमन करूं प्रति वार।
इनकी चाहत अजब निराली बेटा करो विकास।
अपनी मेहनत लगन से जग में करो प्रकाश।
संघर्षों की राह पे चलना ये हर पल सिखलाते।
वंश मेरा कैसे हो रोशन ताकत खूब लगाते।
नही बताता दूजा कोई सदाचार की बात।
वृद्धजनों के पास में बैठो मिले नित्य सौगात।
सदा दुवाएं इनकी लेना पथ पर चलते जाना।
कड़ा परिश्रम नित नव करना जग में नाम कमाना।
चाहें जितनी निंदा होवे चाहें हो परिहास।
दिनकर"दिव्य कलम के बल पर लिख देना इतिहास।।
रचनाकार✍🏽
पंकज सिंह "दिनकर"
(अर्कवंशी) लखनऊ उत्तर प्रदेश

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