क्षमा मां!
जा रही हो मां आज हमसे विदाई लेकर।
जाना हम सभी को अपनी आशीष दे कर।।
हम नादान हैं क्या जाने कैसे हो तेरी भक्ति।
मंदिर सजाया तुझे बैठाया बस इतनी ही है शक्ति।।
मां तेरी भक्ति के नो दिन शक्ति रही अपार।
अपनी ममता का आंचल दे दो और दे दो ना अपना प्यार।।
तेरी पूजा व्रत भक्ति में हुई है बहुत सी भूल।
तू तो मां है क्षमा कर देना अपने बच्चों की भूल।
सब प्रकार कल्याण कर अशुभ रहे सब ।
दूर वांछित सिद्धि प्रदान कर रखी दया भरपूर।।
©आलोक अजनबी

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