ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

मीरा की कृष्ण भक्ति,माधुर्य का सरित प्रवाह - महेन्द्र कुमार

मीरा की कृष्ण भक्ति,माधुर्य का सरित प्रवाह 
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राठौड़ वंश अति शोभित,
मीरा अप्रतिम अवतरण ।
प्रस्फुटित उपासना भाव,
पुनीत पावन अंतःकरण ।
विष पात्र सहर्ष स्वीकार,
भान कर अमृत अथाह ।
मीरा की कृष्ण भक्ति,माधुर्य का सरित प्रवाह ।।

राणा रतन सिंह दिव्य सुता ,
भक्ति भाव अद्भुत चमत्कारी ।
दाम्पत्य सुख अभिव्यंजना ,
कृष्ण स्नेह प्रेम अवतारी ।
अखंड जप तप साधना ,
मेवाड़ धरा साक्षात गवाह ।
मीरा की कृष्ण भक्ति ,माधुर्य का सरित प्रवाह ।।

तज सारे सांसारिक बंधन,
समर्पण कृष्ण प्रेम वंदन ।
विरक्त राजसी सुख वैभव,
कृष्णा नाम जीवन मंडन।
प्रति पल ह्रदय स्पंदन,
कृष्ण स्तुति यज्ञ स्वाह ।
मीरा की कृष्ण भक्ति ,माधुर्य का सरित प्रवाह  ।।

उन्नत ऊर्जस्वित लेखनी,
अनूप प्रेरक काव्य श्रृंगार ।
नेह रमा कर देह अंतर,
श्री मुख अलौकिक निखार ।
हर सांस संग असीम चाह ,
कृष्ण प्रेम शब्द स्वर पनाह ।
मीरा की कृष्ण भक्ति,माधुर्य का सरित प्रवाह।।

महेन्द्र कुमार
(स्वरचित मौलिक रचना)

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