ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

प्रथम से परम तक, आध्यात्म आनंद अपार-महेन्द्र कुमार

प्रथम से परम तक, आध्यात्म आनंद अपार
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श्री गणेश दर्शन मां शैलपुत्री,
सुख समृद्धि अथाह वरदान ।
द्वितीय आभा ब्रह्मचारिणी,
ज्योतिर्मय जीवन पथ विधान ।
चंद्र घंटा अनूप रूप तृतीय ,
सद्यःफलदायक विमल बहार ।
प्रथम से परम तक, आध्यात्म आनंद अपार ।।

चतुर्थ दिवस कूष्मांडा मात,
सृजन तेजस्विता वृष्टि ।
स्कंद माता पंचम छवि,
ममतामयी स्नेहिल दृष्टि ।
षष्ठी रूपा माता कात्यायनी,
पुरुषार्थ फलन पुरस्कार ।
प्रथम से परम तक, आध्यात्म आनंद अपार  ।।

सप्तम सिंहासन मां काल रात्रि,
दानव विनाश साधक हितकारी ।
अष्टम प्रतिरूप महागौरी मैया,
सुख शांति वैभव अवतारी ।
नवम सुशोभना मां सिद्धिदात्री,
प्रदत्त अष्ट सिद्धि नव निधि उपहार ।।
प्रथम से परम तक, आध्यात्म आनंद अपार ।।

शारदीय नवरात्र इति श्री बेला,
सर्व भक्तजन उमंग उल्लास ।
असीम कृपा मां राज राजेश्वरी,
रज रज धर्म कर्म उजास ।
अंत अनंत मातृ विसर्जन वेदना,
उर संग नयनन अश्रु श्रृंगार ।
प्रथम से परम तक, आध्यात्म आनंद अपार ।।

महेन्द्र कुमार
(स्वरचित मौलिक रचना)

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