शिव महिमा
तीनों लोक के अद्भुत स्वामी शिव भोले भंडारी।
भक्तन के हर पल हितकारी इनकी छटा निराली।
मनवांछित फल तुरंत हैं देते खुश होते तत्काल।
जो भी शिव के दर पर जाता पड़ता नही अकाल।
भांग धतूरा खाते पीते इनका अद्भुत रूप।
नाग विषैला गले में सोहे चमके दिव्य स्वरूप।
दिव्य संगिनी गौरा मैया रहतीं इनके साथ।
नेत्र तीसरा दिव्य है इनके अद्भुत माथ।
देवों में महादेव निराले इनका अद्भुत धाम।
जो भक्त इन्हे नित ध्याता बन जाते सब काम।
सर्प विषैले गले में लिपटे बैल नादिया संग।
कलाबाज अद्भुत मतवाले हम सब इनके अंग।
दिव्य कलाएं अद्भुत भोला भक्तन के हितकारी।
शिव जी के अभिषेक से खिले नित्य फुलवारी।
रूप सुहावन अद्भुत भोला इनकी कीर्ति महान्।
"दिनकर" किरणें दिव्य हैं रोशन करें जहान।।
स्वरचित ✍️
पंकज सिंह "दिनकर"
(अर्कवंशी) लखनऊ उत्तर प्रदेश

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