ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

कोहिनूर- अनुप्रिया कुमारी झा

"कोहिनूर"

"खूबसूरत तो हम पहले भी थे,
अब तुमने और सजा दिया।
तेरे नाम के बिंदिया ,चूड़ी ,बिछिया ,
ने नहीं एक चुटकी सिंदूर ने चेहरे ,
के रंग को कोहिनूर बना दिया।


कहने को कहते बंधन है ,इसे 
पर मुझे तो इसने ,गगन में उड़ना 
          सीखा दिया ।

 औरों का तो पता नहीं पर ,
 आज उन्होंने हमे मोहब्बत
       से सजा दिया ।

"उनके नाम के सिंदूर ने चेहरे
     को कोहिनूर बना दिया।"
                               
                               अनुप्रिया कुमारी (झा)

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