ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

जिंदगी-सरल कुमार वर्मा उन्नाव, यूपी

लोग जी रहे जैसे जिंदगी  ही नहीं
कोई धड़कन दिल में  रही ही नहीं

ऐसे मायूस हुए  हैं  हम आजकल
कोई  हसरत  दिल में रही ही नही

बेहया  हो  गई  है  जब  से आदते
आबरू  की  कीमत  रही  ही नही

भटकते  जिस्म  है जहां देखो वही
रूह  तो जैसे  तन में रही  ही नहीं

मुल्क हो  गए हैं  जंगल  इंसानों के
आदमियत  तो जैसे  रही  ही  नहीं

आईना कितना भी अंधेरे में रख दो
कोई सूरत तो उससे  छिपी ही नहीं

जो तैयार कर रहे  हैं लड़ाके"सरल"
कोई जंग  तो उन्होंने  लडी ही नहीं

                    सरल कुमार वर्मा
                        उन्नाव, यूपी
                    

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