ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

कोई भगत बुरा ना माने-राजेन्द्र सिंह श्योराण।

कोई भगत बुरा ना माने।
गंगानगर से आकर के, बनाया सिरसा में डेरा।
शासन और प्रशासन तक, अपने चरणों में गेरा।।
वक़्त ने करवट बदली, घड़ा भर गया पाप का ।
न्यायधीश ने सजा सुनाई तब, रोया भी भतेरा।।

पहले करार यूं था, गुरु जी ही होता था सहारा।
फिर विचार बदलने पड़े, चला नहीं कोई चारा।।
20 साल फिर उम्र कैद हुई, केस पर केस हुए।
सुनारिया जेल में प्रवचन, करे गुरमीत बेचारा।।

कितने लोगों को हमने, अहंकार में चूर देखा है।
पर वे नहीं जानते हैं कि, सब कर्मों का लेखा है।।
हवा का रुख बदलने से, फसलें सूख जाती हैं।
कितने लोगों को जनता ने, नजरों से नीचे फैंका है।।

राजेन्द्र सिंह श्योराण।

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