ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

दृष्टिकोण-हरेन्द्र विक्रम सिंह

दृष्टिकोण


हर जगह चेहरे पर अच्छी मुस्कान नहीं होती ।
हर सच्चे व्यक्ति की मीठी जुबान नहीं होती।। 
किसी के गम में कुछ दिल से जो बहा दे आंसू ।
हमदर्द की इससे बड़ी कोई पहचान नहीं होती।।

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चांद तारों से उतर कर जमीं आ गये हो ।
प्यासे होंठों की बनकर नमीं आ गये हो।।
जिस मूरत को हमने तराशा युगों तक।
उसकी करने को पूरी कमीं आ गये हो।।

जय हिन्द जय साहित्य  
सादर घायल परिन्दा 
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