ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

दृष्टिकोण-हरेंद्र विक्रम सिंह

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दृष्टिकोण 


खुद तप कर सूरज दुनिया को दिन दिखलाता है ।
परिवर्तन करना समय के संग में वह सिखलाता है।। 
बदली और कुहासे के घेरे से वह कभी न घबराता है।
समय के संग में इक दिन फिर वह रोशन हो जाता है।
ऐसे ही वीर सिपाही डटकर आगे बढ़ता जाता है। 
तब दुश्मन के हर मंसूबे पर पानी फिर जाता है।।

हर बाधा को दूर भगाकर वह देश बचाता है।
अन्तिम सासों की किरणों तक वह फर्ज निभाता है।।
सूरज के जैसे नए भोर की दिल में आश जगाता है।
कहे परिन्दा घायल, नई रोशनी देने वाला ही दुनिया में पूजा जाता है।।

जय हिन्द जय साहित्य 
सादर घायल परिन्दा 
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