ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

मन का सावन


#विधा:-छंदमुक्त गीत
#दिनांक:-24/7/2024
#शीर्षक- मन का सावन 

कोकिला, पपीहा के मधुर बोल,
बारिश की रिमझिम, हरियाली चहुँओर।
साजन की याद सताये, रह-रहकर,
आया सावन माह देखों झूमकर--2 

झूले पड़ गये, डाली-डाली 
बम-बम बोले, हर गली-गली--2
कजरी की धुन,लगे मनभावन--2
बहुत सताता है ये, मन का सावन --2 

मादकता में ,अवगाहन धरती,
वर्षा का रस पावन करती--2
मचल रहा, मेरा भी मन-2
बड़ा मनोहर है, ये मन का सावन ---2 

रचना मौलिक, स्वरचित और सर्वाधिक सुरक्षित है | 

प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई 

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