👇🏿👇🏿
नव वर्ष की नव प्रभात पर
कुछ कसमें वादे अपने आप से करने होंगे
क्या पाया है क्या खोया हैं
जीवन को मधुर बनाना है तो
हर कर्म के हर पल के हिसाब करने होंगे
नव वर्ष की नव प्रभात पर
कुछ कसमें वादे अपने आप से करने होंगे
स्वासे खोई कुछ जग में सीखें भी पाई
मित्रों ने ही अपना बनकर लूटा है
बेटों ने ही अनाथालय तक घसीटा है
बेटियों ने भी मान घटाया
पर पुरुषों को बिन अनुमति गले लगाया
फिर किसके लिए यह धन दौलत
पाने के लिए हर हथकंडे अपनाया
स्वासे खोई पर कुछ कर्म काम न आया
नव वर्ष की नव प्रभात पर
कुछ कसमें वादे अपने आप से करने होंगे
प्रीति की रीति सदा जग में खुशहाली लाएं
प्रीति लगा लो एक दूजे से सोच से ही
भाई सोच से बने कसाई
जीव जीव का एक ही नाता सब एक
दूजे के है भ्राता
दर्द समझ में आए तो वरना फिर
बहन बेटियां फिर हो गई पराई
नव वर्ष के नव प्रभात पर
कुछ कसमें वादे अपने आप से करने होंगे।।
क्या पाया क्या खोया हर पल
के हिसाब करने होंगे
जो सीख सिखाईं अपनो ने अपने बनकर
अब अपने और पराए का भेद
अंतर्मन से मिटाने होंगे
नव वर्ष की नव प्रभात पर
कुछ कसमें वादे अपने आप से करने होंगे।।
🌹🌹
भारत दास "कौन्तेय" सतना मध्यप्रदेश
0 Comments