ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

मुहाजिर जिंदगी

मुहाजिर जिंदगी यू ही नहीं है
इनायत इस तरफ देखी नहीं है

कभी तालाब थे हो गए समन्दर
नवाजिश इस क़दर देखी नहीं है

गरीबी से है हमदर्दी का फ़ैशन 
कभी नजदीक से देखी नहीं है

ठिठुरती रात में बैठी है देखो
तुम्हारे कम्बल में गर्मी नहीं है 

गुरुर इसलिए है दौलत पर उसे
कि उसने सादगी देखी नहीं है

नई बनाए चलो दुनिया "सरल"
यहां कीमत आदमी की नहीं है
                   सरल कुमार वर्मा
                       उन्नाव,यूपी
                   9695164945

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