ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

सूचना का अधिकार



सूचना का अधिकार

आरटीआई का मतलब है सूचना का अधिकार और संविधान की धारा 19(1) के तहत इसे मौलिक अधिकार का पद दिया गया है। धारा 19(1) के तहत नागरिक को वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है और उसे अधिकार है जानने का की सरकार कैसे काम करती है, उसकी क्या भूमिका है, उसका क्या काम है इत्यादि। सूचना का अधिकार अधिनियम हर नागरिक को जानकारी प्राप्त करने की नोट्स लेने की, निष्कर्षों या दस्तावेजों या अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियां, सामग्री के प्रमाणित नमूने लेने की शक्ति प्रदान करता है।

भारतीय राजनीति

सूचना का अधिकार (RTI)

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 और उसकी उपलब्धियों तथा चनौतियों पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ

भारतीय संविधान देश के नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है अर्थात् देश के प्रत्येक नागरिक को किसी भी विषय पर अपनी स्वतंत्र राय रखने और उसे अन्य लोगों के साथ साझा करने का अधिकार है, परंतु कई स्वतंत्र विचारकों का सदैव मानना रहा है कि सूचना और पारदर्शिता के अभाव में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का कोई महत्त्व नहीं रह जाता। सूचना का अधिकार भारत जैसे बड़े लोकतंत्रों को मज़बूत करने और उनके नागरिक केंद्रित विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

सूचना के अधिकार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • वैश्विक स्तर सूचना के अधिकार को एक नई पहचान तब मिली जब वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स (Universal Declaration of Human Rights) को अपनाया गया। इसके माध्यम से सभी को मीडिया या किसी अन्य माध्यम से सूचना मांगने एवं प्राप्त करने का अधिकार दिया गया।
  • अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति थॉमस जैफरसन के अनुसार, “सूचना लोकतंत्र की मुद्रा होती है एवं किसी भी जीवंत सभ्य समाज के उद्भव और विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।”
  • भारतीय लोकतंत्र को मज़बूत करने और शासन में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से भारतीय संसद ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 लागू किया।

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005

सूचना का अधिकार (Right to Information-RTI) अधिनियम, 2005 भारत सरकार का एक अधिनियम है, जिसे नागरिकों को सूचना का अधिकार उपलब्ध कराने के लिये लागू किया गया है।

अधिनियम के मुख्य प्रावधान

  • इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत भारत का कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी प्राधिकरण से सूचना प्राप्त करने हेतु अनुरोध कर सकता है, यह सूचना 30 दिनों के अंदर उपलब्ध कराई जाने की व्यवस्था की गई है। यदि मांगी गई सूचना जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है तो ऐसी सूचना को 48 घंटे के भीतर ही उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
  • इस अधिनियम में यह भी कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण अपने दस्तावेज़ों का संरक्षण करते हुए उन्हें कंप्यूटर में सुरक्षित रखेंगे।
  • प्राप्त सूचना की विषयवस्तु के संदर्भ में असंतुष्टि, निर्धारित अवधि में सूचना प्राप्त न होने आदि जैसी स्थिति में स्थानीय से लेकर राज्य एवं केंद्रीय सूचना आयोग में अपील की जा सकती है।
  • इस अधिनियम के माध्यम से राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद व राज्य विधानमंडल के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) और निर्वाचन आयोग (Election Commission) जैसे संवैधानिक निकायों व उनसे संबंधित पदों को भी सूचना का अधिकार अधिनियम के दायरे में लाया गया है।
  • इस अधिनियम के अंतर्गत केंद्र स्तर पर एक मुख्य सूचना आयुक्त और 10 या 10 से कम सूचना आयुक्तों की सदस्यता वाले एक केंद्रीय सूचना आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है। इसी के आधार पर राज्य में भी एक राज्य सूचना आयोग का गठन किया जाएगा।
  • यह अधिनियम जम्मू और कश्मीर (यहाँ जम्मू और कश्मीर सूचना का अधिकार अधिनियम प्रभावी है) को छोड़कर अन्य सभी राज्यों पर लागू होता है।
  • इसके अंतर्गत सभी संवैधानिक निकाय, संसद अथवा राज्य विधानसभा के अधिनियमों द्वारा गठित संस्थान और निकाय शामिल हैं।
  • राष्ट्र की संप्रभुता, एकता-अखण्डता, सामरिक हितों आदि पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली सूचनाएँ प्रकट करने की बाध्यता से मुक्ति प्रदान की गई है।

RTI अधिनियम के उद्देश्य

  • पारदर्शिता लाना
  • जवाबदेही तय करना
  • नागरिकों को सशक्त बनाना
  • भ्रष्टाचार पर रोक लगाना
  • लोकतंत्र की प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करना

RTI की उपलब्धियाँ

  • प्रसिद्ध 2G घोटाला

यह घोटाला उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों द्वारा शक्तियों के दुरुपयोग का सबसे प्रमुख उदाहरण है। इस घोटाले के कारण भारत सरकार को 1,76,645 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। उल्लेखनीय है कि यह बड़ा घोटाला तब सामने आया जब एक RTI कार्यकर्त्ता ने अधिनियम का उपयोग कर इसके खिलाफ एक RTI दायर की।

  • 2010 कॉमनवेल्थ गेम

एक गैर-लाभकारी संगठन द्वारा दायर एक RTI से पता चला था कि दिल्ली सरकार ने राष्ट्रमंडल खेलों के लिये दलित समुदाय के कल्याण हेतु रखे गए फंड से 744 करोड़ रुपए निकाले थे। साथ ही RTI से यह भी सामने आया कि निकाले गए पैसों का प्रयोग जिन सुविधाओं पर किया गया वे सभी मात्र कागज़ों पर ही थीं।

सूचना अधिनियम में हालिया संशोधन

  • बीते दिनों केंद्र सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 में संशोधन किया था, जिस पर कई आलोचकों एवं विश्लेषकों का मानना था कि इस कदम से सूचना का अधिकार कानून की मूल भावना ही खतरे में आ जाएगी।
  • अधिनियम में मुख्य संशोधन
    • संशोधन के तहत यह प्रावधान किया गया कि मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों तथा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा की अन्य शर्ते केंद्र सरकार द्वारा तय की जाएंगी।
    • उल्लेखनीय है कि RTI अधिनियम की धारा-13 में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की पदावधि और सेवा शर्तों का उपबंध किया गया था। अधिनियम में कहा गया था कि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का वेतन, भत्ते और शर्तें क्रमश: मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों के समान होंगी। इसमें यह भी उपबंध किया गया था कि राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्तों का वेतन क्रमश: निर्वाचन आयुक्त और मुख्य सचिव के समान होगा।

संशोधन की आलोचना

कई RTI और सामाजिक कार्यकर्त्ताओं ने केंद्र सरकार के इस कदम की काफी आलोचना की थी। कार्यकर्त्ताओं का कहना था कि इस प्रकार के संशोधन से केंद्र सरकार मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों तथा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा की अन्य शर्तों के निर्धारण संबंधी शक्तियों के अधिग्रहण का प्रयास कर रही है, जिसके प्रभाव से इस संभावना को और अधिक बल मिलता है कि इन पदों पर बैठे लोग सरकार के प्रति अपनी वफादारी साबित करने में ज़्यादा रुचि लेंगे, न कि आम नागरिकों के हित के कार्यों में।

राजस्थान का जन सूचना पोर्टल

  • राजस्थान सरकार ने हाल ही में जन सूचना पोर्टल (Jan Soochna Portal-JSP) की शुरुआत की है। इस पोर्टल का मुख्य उद्देश्य सरकार तथा सरकारी विभागों से संबंधित जानकरी को आम जनता तक पहुँचाना है।
  • जानकारों का कहना है कि यह पोर्टल सूचना के अधिकार (RTI) - विशेषकर RTI अधिनियम की धारा (4) - जो कि सूचना के सक्रिय खुलासे या प्रकटीकरण से संबंधित है, को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
  • पारदर्शिता के साथ उत्तरदायित्व का होना आवश्यक है और इस दृष्टिकोण से JSP अत्यंत महत्त्वपूर्ण व मूल्यवान है, क्योंकि यह राज्य सरकार को उन सभी लोगों के प्रति उत्तरदायी बनाने की शक्ति रखता है जो पोर्टल पर उपलब्ध सूचनाओं का उपयोग करते हैं।
  • जन सूचना पोर्टल का विकास राजस्थान के सूचना व प्रोद्योगिकी विभाग द्वारा किया गया है।
  • इस पोर्टल पर राजस्थान सरकार के 13 विभागों की 23-24 प्रकार की जानकारियाँ एक ही स्थान पर उपलब्ध हैं।
  • इस पोर्टल के शुभारंभ के साथ ही राजस्थान ऐसा पहला राज्य बन गया है जिसने एक ही प्लेटफॉर्म पर कई विभागों की सूचना उपलब्ध कराई है।

क्यों महत्त्वपूर्ण है सूचना का अधिकार?

  • सूचना तक पहुँच का अधिकार समाज के गरीब और कमज़ोर वर्गों को सार्वजनिक नीतियों और कार्यों के बारे में जानकारी मांगने और प्राप्त करने हेतु सशक्त बनाता है, जिससे उनका कल्याण संभव हो सके।
  • यह अधिनियम सरकार के सभी कदमों को आम जनता के समक्ष जाँच के दायरे में लाता है।
  • इससे सरकार और सरकारी विभाग और अधिक जवाबदेह बनते हैं एवं उनके कार्यों में पारदर्शिता आती है।
  • यह सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा अनावश्यक गोपनीयता को हटाकर निर्णयन में सुधार करता है।

RTI के समक्ष चुनौतियाँ

  • जागरूकता की कमी

एक सर्वेक्षण से यह ज्ञात हुआ कि उसमें भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों में से मात्र 15 प्रतिशत ही RTI अधिनियम के बारे में जानते थे। सर्वेक्षण से यह बात भी सामने आई थी कि अधिकतर लोगों को इस बारे में या तो मीडिया से पता चला या फिर किसी अन्य व्यक्ति से जानकारी मिली। इसका अर्थ यह हुआ कि RTI संबंधी जागरूकता को लेकर उसकी नोडल एजेंसी का कार्य काफी सीमित है।

  • प्रदान की जाने वाली सूचना की खराब गुणवत्ता

RTI दाखिल करने वाले 75 प्रतिशत कार्यकर्त्ता प्राप्त सूचना से पूरी तरह संतुष्ट नहीं होते हैं। आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश के क्रमशः 91 और 96 प्रतिशत याचिकाकर्त्ताओं ने RTI के तहत प्राप्त सूचना के संबंध में असंतुष्टि ज़ाहिर की है। साथ ही कई याचिकाकर्त्ताओं ने अनावश्यक जानकरी प्राप्त होने की बात भी स्वीकार की है।

  • समय पर सूचना प्राप्त न होना

अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि किसी भी सामान्य परिस्थिति में सूचना को 30 दिनों के भीतर प्रदान करना आवश्यक है, परंतु उपरोक्त सर्वेक्षण में सामने आया कि सूचनाओं के कुप्रबंधन के कारण 50 प्रतिशत याचिकाकर्त्ताओं को इस अवधि के भीतर आवश्यक सूचना प्राप्त नहीं होती है।

  • अन्य चुनौतियाँ
    • नौकरशाही में अभिलेखों को रखने व उनके संरक्षण की व्यवस्था बहुत कमज़ोर है।
    • सूचना आयोगों को चलाने के लिये पर्याप्त अवसंरचना और स्टाफ का अभाव है।
    • सूचना के अधिकार कानून के पूरक कानूनों, जैसे- ‘व्हिसल ब्लोअर संरक्षण अधिनियम’ का कुशल क्रियान्वयन नहीं हो पाया है।

सूचना का अधिकार v/s निजता का अधिकार

  • सैद्धांतिक तौर पर सूचना का अधिकार और निजता का अधिकार एक-दूसरे के पूरक होने के साथ ही एक दूसरे के विरोधी भी हैं।
  • एक ओर जहाँ RTI सूचना तक पहुँच के दायरे को बढ़ाता है, वहीं निजता का अधिकार सूचनाओं की गोपनीयता पर बल देता है।

निष्कर्ष

RTI अधिनियम, 2005 को सामाजिक न्याय, पारदर्शिता और जवाबदेहिता जैसे उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु लाया गया था, परंतु इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि RTI तंत्र की विफलता के कारण यह अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में असफल रहा है। यह आवश्यक है कि सरकार तथा नागरिक संस्थानों को मिलकर RTI अधिनियम को और अधिक मज़बूत करने का प्रयास करना चाहिये, जिससे प्रशासन में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के साथ लोगों की भागीदारी भी बढ़ेगी।

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