ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

सिन्दूर सौन्दर्य है

#दिनांक:-7/5/2025
#विधा:-अगीत।
#शीर्षक:-सिन्दूर सौन्दर्य है ।

दिन आज फिर से याद तुम करो, 
तेरहवीं की चल रही है अब तैयारी। 
सेना ने मार गिराये है चुन-चुन कर,
जिसने की मानवता के साथ गद्दारी ।।

सुखद स्वप्न में खोए आतंकवाद,
प्रगति को नुकसान पहुँचाने वाले।
हो गया रे नामोनिशान खत्म तेरा,
साम्प्रदायिक दंगे भड़काने वाले ।।

पच्चीस भारतीय एक नेपाली मारकर,
किए थे राम-सनातन पर चोट गहरा। 
एजेंसियों से कराई आतंकी पहचान,
शौर्य दिखाए वीर नौ ठिकाना कहरा।। 

सिन्दूर आपरेशन बना चल पड़े वीर, 
रजनी की चीत्कार चला गोली-बारूद। 
नृशंसता की हद पार कर की जो बर्बरता,
दुश्मन को याद कराए सिन्दूर का वजूद।।

सुन लो सभी जो भी हमसे टकराएगा,
वो जरुर एक दिन चूर-चूर हो जाएगा ।
बहन, बेटी को रुलाने वाले सुन लो, 
सिन्दूर रंग नहीं सौन्दर्य है, रण चिन्ह भी,   
इसलिए नेस्तनाबूत कर दिया जाएगा।।

(स्वरचित, मौलिक और सर्वाधिकार सुरक्षित है)
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई

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