ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

कहानी


#दिनांक:-28/2/2025
#सजल
#शीर्षक:-कहानी

ये कहानी हमारी, ससबर हो जाएगी ,
दुनियाँ किरदारों की,पूरक हो जाएगी ।।1।

उपल पिघल जाएगा, कोशिश करते रहिए,
बंजर जमीन हमारी , ससफर हो जाएगी ।।2।

अंधेरी रात है,  जुगनू के साथ चलिए,
रवि के इंतजार में, दुपहर हो जाएगी ।।3।

जो नहीं डरते कभी, परीक्षा परीक्षण से,
वही सभी मंजिल भी, ठठहर हो जाएगी ।।4।

बढ़ाकर हाथ अपना,अब खींचने लगे सनम,
मौजे-जिन्दगी हरी, बे-सर हो जाएगी ।।5।

प्रेम के ये समुन्दर, काश खारे न होते,
तो मौत भी जिन्दादिल, ललहर हो जाएगी ।।6।

मीठे में थोड़ा तो, तंगी रखिए प्रतिभा,
स्वाभिमान रिश्तों में, कमकर हो जाएगी ।।7।

(स्वरचित, मौलिक और सर्वाधिकार सुरक्षित है)
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई

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