ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

मेघा-रश्मि ममगई


कारे कारे मेघा तुम कौन देश से आए हो?
उमड़ घुमड़ कर कहो सलोने किसका संदेशा लाए हो?
दूर देश में कौन प्रियतम दिन-रैना आहें भरता है?
 कहो सलोने किसके दूत हो, किसे मनाने आए हो?

 क्यों व्यग्र तुम्हारे नैना है,
 जो यूँ ही अश्क बहाते हैं,
 हृदय में विरह वेदना है,
 जो छुपते नहीं छुपाते हैं।

क्या डाकिए हो तुम प्रिय के,
 प्रेम संदेश सुनाने आए हो,
किस प्रिया के अश्क कहो,
तुम किसे दिखाने आए हो।

कौन तुम्हारी प्रिया है,
अहो जरा कह दो हमसे,
 बाग-तलैया धरती नदिया,
 कौन प्रेम करती तुमसे।

क्यों मलिन हो गया मुख तेरा,
कैसी हृदय में पीड़ा है,
बरस बरस आँखें जाती,
कैसा सावन का महीना है।

तेरा - मेरा तो पगले,
इन अश्कों का ही नाता है,
तेरे अश्कों संग दर्द मेरा भी,
चुपके से बह जाता है।

  रश्मि ममगाईं
 स्वरचित मौलिक रचना

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