भारत के महानायक
चन्द्र शेखर आजाद
थे सपूत जो भारत माँ के , बलि वेदी अपनाई थी ।
था परतंत्र देश जब अपना , माँ की लाज बजाई थी ।।
क्रूर अंग्रेजों का , आतंक आसमान पर था ,
लूट मार सम्पत्ति की चारों ओर छाई थी ।
फूट डाल राजाओं में , राज्य हड़पने की नीति ,
विधर्मी वितानियों ने बहुत अपनाई थी ।।
आजाद आया आसमान से , बची बहुत शहनाई थी ।..........॥१॥
जगरानी जाग गई , भावरा के भाग्य जगे ,
पंडित सीताराम सीताराम धुन गाई थी ।
भाल चन्द्रशेखर का , विशाल चन्द्रशेखर सा ,
निडर सा नायक उसकी लायक निपुनाई थी ।।
बन करके आजाद बनारस में ही अलख जगाई थी ।..............॥२॥
नाम है आजाद मेरा , काम देश आजादी का ,
जज के समक्ष यह चतुरता दिखाई थी ।
कोड़े कितने पड़ रहे , चिन्ता इसकी कीन्ही नही ,
भारत माता की जय , बड़े जोर से लगाई थी ।।
फूल बिछे मग माला पहनी जेल से हुई रिहाई थी ।................॥३॥
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राजेश तिवारी "मक्खन" झांसी उoप्रo |
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