ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

ढेबरी मा अब काउ जराई

" ढेबरी मा अब काउ जराई "


ढेबरी मा अब काव जराई
कोटस्  कटिगा मट्टिक तेल
चोरी लुक्का बेंचत मिलिगे
सुना है उनहुक् होयिगा जेल

सावन भांदव रहेन अंधियरेम्
बिजुरी हरदम आवै जाय
जब से तनिका खुटपुट होयिगा
लिहिन परोसी बलफ हटाय
बिटिया कै गयि छूटि पढाई
अम्मा गयीं अंधेरेम् झेल
ढेबरी मा अब................

 न केउ हमरे घर कमुवैय्या
जवने बल पय रही उतान
दादा बाबा कुरियम् रहिगे
हमरौ ढेबरी रहै बुतान
कबौ भवा है ,जव अब होई
अमीरी अउर गीरीबिक् मेल
ढेबरी मा अब.................

अस घर मौजम् बहुत परा हैं
जेकरे घरे न बिजुरी तार
मट्टिकतेलै रहा सहारा
वहू का छोरि लिहिस सरकार
संसद मा हुंकार भरत हैं
अनपढ़ अठवीं दसवीं फेल
ढेबरी मा अब काव जरायी
कोट्स कटिगा मट्टिक तेल !!

    ( संजय अवधी , गोंडा )

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