शीर्षक:-एहसास की अनोखी डोरी
छोड़ो पुरानी यादों को ,
नये तरीके से नया आगाज बनाते हैं,
कुछ तुम कड़ुवाहट की बातें,
दिल की कहना,
कुछ खट्टी मीठी मुझसे सुनना,
चलों आज कुछ बातें करके,
एहसास की अनोखी डोरी से बंध जाते हैं।
आओ बातों का आदान-प्रदान करें,
एक दूसरे के अपनेपन का सम्मान करें,
शुरुआत बचपन से करते हैं,
अंत पचपन का बिस्तार से चर्चा करें,
कहीं अगर रूकेंगे तो वो जवानी होगी ,
मस्त जीवन की जीवन्त कहानी होगी ,
प्रेम में बिह्वल दो हंसों का जोड़ा,
किसी की पूरी,
किसी की अधूरी कहानी होगी,
तुम भी खोये-खोये से बात करोगे ,
दिन के सपनों में मुलाकात करोगे,
हम भी कुछ देर डूब जायेंगे,
पुनः आवाज सुनकर चौंक जायेंगे,
पर बातों का सिलसिला चलता रहेगा ,
पुरानी यादों के समुन्दर में डूबता - तैरता रहेगा,
उज्जवल भविष्य की तैयार कर चार्ट पेपर,
हर शक्स के वर्तमान में बनता रहेगा|
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प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई
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