दूर जाकर भी वह कभी दूर जा ना सके ।
भरी महफिल में भी वो कभी मुस्कुरा ना सके ।।
मुझे तो तन्हाई दे दी उनकी इक खूबसूरत अदा ने।
और खुद को भी वह कभी तन्हाई से दूर ला न सके।।
उसने जुदा तो कर लिया अपने दिल को मेरे दिल से।
मगर अपने दिल को किसी और के दिल से लगा ना सके।।
बिन उनके लगे ना मुझे कोई खूबसूरत नजारे।
और वह भी किसी की शहनाई में कभी गा ना सके।।
मेरे मासूम दिल को तो कर गए वो घायल परिंदा।
मगर अपने दर्द को भी वो किसी से छुपा ना सके।।
घायल परिन्दा

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