शीर्षक:- किस पर हो भरोसा?
बोलते बहुत हैं,
कोई सुने तो सही ,
सोचते बहुत हैं
कोई समझे तो सही।
ढूंढते है हर किसी को ,
कोई मिले तो सही ,
नाराज होते बहुत हैं
कोई मनाये तो सही ।
पौधा दिल का है ,
कोई लगाये तो सही।
कमजोर बहुत हैं भावनायें,
कोई मजबूत बनाये तो सही।
बेरंग दुनिया है ,
कोई रंग घोले तो सही।
वक्त हर वक्त रोता है ,
कोई चुप कराये तो सही।
कोई चुभन गम का अछूता नहीं,
कोई एक पल की खुशी दे पाये तो सही।
किस पर हो भरोसा?
कोई नहीं भरोसेमंद!
कोई विश्वास मन में जगाये तो सही ।
जिन्दगी बहुत बैंड बजा रही है
कोई संग नाचे और नचाये तो सही।
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई

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