महात्मा गांधी
सत् सत् नमन उस आत्मा को
जिसने स्वतंत्रता सग्राम की
करी अगुआई !!
छोटी सी चिनगारी को बडा
किया फिर नही बुझने दी यह
आजादी की अगडाई !!
आखे मीचे क्यो बैठो हो भाई
करलो नमन आज इन्हे
जिसने सबको एक साथ एक
पथ मे चलने की समझ दिखाई
यहा तो लोग अपने घर भी,
न परोसी भी एक नही कर पा रहे
वतन की क्या मजाल पेश करेगे
फिर भी अज्ञानता बस आरोप
लगाते है कौन महात्मा गाँधी
जरा अपना घर सम्हाल कर देखो
सब बुद्धि किनारे लग जाएगी भाई !
सत् सत् नमन उस महात्मा को
जिसने न बुझने दी यह स्वतंत्रता
की ज्वाला सबको एक पथ पर
चलने की तरकीब सुझाई!!
दुनिया में सब काम सरल है
मैने माना है भाई
पर एक बात कठिन है जगत में भाई के संग भाई कैसे एक राह चले यह तरकीब अजुअव समझ मे न आई!!
इस हाड मास के पुतले ने
यह काम सरलता से कर दिया
सच में पूछो सच में पूछो तो
महात्मा के उपाधि के हकदार
थे भाई भले हम अज्ञानता बस
न समझे इस गूढता को
यह एकता की मिसाल बनाना
जगत मे कठिन काम है भाई!
कर लो नमन आज महात्मा को
जिसने स्वतंत्रता की ज्वाला को
अंतिम लक्ष्य तक पहुचाई!!
सत् सत् नमन महात्मा गाँधी जी
को जिसने स्वतंत्रता संग्राम की
बडे सरलता से करी अगुआई! !
कलम क्रांति का दर्पण है! !
भरत प्रसाद प्रजापति
मध्य प्रदेश

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