ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

नैतिक दायित्व से दुनिया में सुख उपजे-कलम क्रांति का दर्पण

 नैतिक दायित्व से दुनिया में सुख उपजे

आओ आओ कुछ काम की बात करें
आरोप प्रत्यारोप का राग छोड़
नैतिक दायित्व का निर्वहन करें
मैं भी सीखूं तुम भी सीखों और
सिखाओ बच्चों को तो फिर बात बनें।‌
आओ कुछ काम की बात करें
आरोप प्रत्यारोप का राग छोड़
नैतिक दायित्व का निर्वहन करें
पहला नैतिक दायित्व खुद शिक्षित हो
और बच्चों को शिक्षित करें
अक्षर शिक्षा से भर काम नहीं चलने वाला
नैतिक कर्मों की समझ विकसित करें
एक गेंद तुम्हारे पाले में है 
अच्छे नेताओं का चयन करें 
अच्छे नेता ही उन्नति राष्ट्र का निर्माण करें 
भला बताओ यदि तुमने गूंगा बहरा अंधा 
चुन लिया जिसको चीख सुनाई नहीं देती है
फिर वह कैसे तेरा मेरा उद्धारक होंगा
सब कोई अपने आप से प्रश्न करें ❓
आओ कुछ काम की बात करें
आरोप प्रत्यारोप का राग छोड़
नैतिक दायित्व का निर्वहन करें 
भला बताओ जब सब अपने आप 
नैतिक दायित्व से बंध जाएंगे
फिर कौन करेगा भ्रष्टाचार ❓
फिर कौन करेगा बहन बेटियों से
निर्जन में अन्याय अत्याचार।
हम सबने नैतिक दायित्व को छोड़ा है
तभी तो बच्चों ने हर नातों से मुख मोड़ा है
तभी तो राजनीति में अपराधियों
का बन गया रैन बसेरा है।।
तुझको तो तीन काम ही करने थे
पहली शिक्षा अर्जित कर समझ 
बनानी थी नैतिक कर्मों की।
दूजा बच्चों को शिक्षित कर नैतिक
मूल्यों की अर्ज सिखानी थी
तीजा उत्तम नेतृत्व मिले विधि विधान को
ऐसे संसद और विधायिका चुननी थी
तुमने तीनों में अपने नैतिक दायित्व को 
छोड़ा है।
अब भला बताओ कैसे उत्तम राष्ट्र बनें 
आओ आओ कुछ काम की बात करें
आरोप प्रत्यारोप की बात छोड़ 
सबसे पहले अपने तीनों नैतिक दायित्व का निर्वहन करें 
तो कुछ उत्तम बात बनें।‌तो कुछ उत्तम बात बनें।।

कलम क्रांति का दर्पण

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