ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

काफिया _आस, रदीफ _लिखना है।-पंकज सिंह दिनकर (अर्कवंशी) लखनऊ उत्तर प्रदेश

गजल
काफिया _आसरदीफ _लिखना है।

सजाया  मंच  उपवन  ने  नया इतिहास  लिखना है।
हमें  खुद की  बुलंदी  पर  नया विश्वास  लिखना है।
✍🏽
चलूं नित सत्य  के पथ पर यहीं आवाज  है दिल की।
हमें अपनी  किताबों  पर  सदा  उल्लास  लिखना है।
✍🏽
खिलें कलियां सदा उपवन महक जाए जगत सारा।
यहीं  खूबी   यहीं  चाहत  सदा  बिंदास  लिखना है।
✍🏽
मेरी  इच्छा यहीं  हर  पल  चमन  रोशन  हमारा  हो।
दिलों के  दर्द  को समझूं  सुखद आभास  लिखना है।
✍🏽
चमन  में  पुष्प  नित  महकें  गली गुलजार  हो  जाए।
तमन्ना दिल  की  यह  मेरी  सदा मधुमास  लिखना है।
✍🏽
सुहाना  प्यार  का  मौसम  बिखेरे   रंग   मौसम  ने।
यहीं अरमान दिनकर  के  सदा एहसास लिखना  है।।

 ✍🏽📚
पंकज सिंह दिनकर
(अर्कवंशी) लखनऊ उत्तर प्रदेश

Post a Comment

0 Comments