गजल
काफिया _आस, रदीफ _लिखना है।
सजाया मंच उपवन ने नया इतिहास लिखना है।
हमें खुद की बुलंदी पर नया विश्वास लिखना है।
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चलूं नित सत्य के पथ पर यहीं आवाज है दिल की।
हमें अपनी किताबों पर सदा उल्लास लिखना है।
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खिलें कलियां सदा उपवन महक जाए जगत सारा।
यहीं खूबी यहीं चाहत सदा बिंदास लिखना है।
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मेरी इच्छा यहीं हर पल चमन रोशन हमारा हो।
दिलों के दर्द को समझूं सुखद आभास लिखना है।
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चमन में पुष्प नित महकें गली गुलजार हो जाए।
तमन्ना दिल की यह मेरी सदा मधुमास लिखना है।
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सुहाना प्यार का मौसम बिखेरे रंग मौसम ने।
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पंकज सिंह दिनकर
(अर्कवंशी) लखनऊ उत्तर प्रदेश
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