करवा चौथ
करवा चौथ के पावन पर्व पर बांध रही नेह फंदा को।
लगाके चलनी चेहरे पर निरख रही चम चंदा को।।
ओ चांद जैसा चेहरा चमक रहा चम चम,
झिलमिल सितारा चुनरी बजे पायल छम-छम,
सोलहो श्रृंगार साजि प्रियतमा पूज रही पति बंदा को,
लगाके चलनी चेहरे पर निरख रही चम चंदा को।
करवा चौथ •••••••••••••••••••••2।।
विना पति अधूरा कारुष सिगरो जहनवा,
करवा चौथ चंदा पूरण करे अरमनवा,
बनाके राखे लम्बी उमरिया मिटा द्वेष हर गंदा को,
लगाके चलनी चेहरे पर निरख रही चम चंदा को।
करवा चौथ •••••••••••••••••••••2।।
कलम से✍️
कमलेश कुमार कारुष
मिर्जापुर


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