ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

प्रकृति के अनुपम संदेश-कमलेश कुमार कारुष मिर्जापुर

प्रकृति के अनुपम संदेश

जग जाहिर फलदायक पेड़,दो तरिके फल देते हैं।
एक देते हैं दिखा दिखा,दूजे छिपा छिपा  देते  हैं।।

आलू, प्याज, गाजर, मूली, ए सभी छुपा देते हैं फल।
यूं खोद जड़ खत्म हो जाते,नहि जीवन का कोई हल।।

आम,सेव,कटहल,नारियल,ए सभी दिखा देते हैं फल।
अतः सुरक्षित किये जाते हैं,मानव द्वारा हर इक पल।।

जो फलदायक छुपा छुपा,देते हैं  निज फल  को।
वे जड़ से खत्म किये जाते,नही ढूंढ़ पाते हल को।।

जो फल दिखा दिखा देते हैं,हर पल होता उनका वजूद।
करते सुरक्षित हर  नर  नारी,विल्कुल  आंखे  मूंद  मूंद।।

यही बात  मानव  पर  लागू, दो  तरिके  होते हैं मानव।
एक धन वैभव रख छुपाते,दूजे दिखा सहायक जानव।।

जो धन बैभव रख छुपाते,उनका अस्तित्व मिटा जाता।
धन बैभव जो होय सहायक,सभी बीच  में  छा  जाता।।

प्रकृति के  उत्तम  ए  उपदेश, वृक्ष  हमें  सिखलाते  हैं।
करें मदद उन फलो तरह,जो जग जाहिर दिखलाते हैं।।

कलम से✍️
कमलेश कुमार कारुष 
मिर्जापुर

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