ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

मत की तीन अवस्थाएं मतदान / मताधिकार / बोट-भारत प्रसाद प्रजापति

मत की तीन अवस्थाएं
मतदान / मताधिकार / बोट

मत को मत मंदिरा में बेंचों 
मत मर्यादा कि पर्याय
मर्यादा जब पड़ी ग़लत संग के ढिग
मर्यादा की दुर्गति भई अंग अंग
दुखित हुआ औ कुटुम्ब परिवार 
पर इससे बड़ी विडंबना भारी
जब मत पड़े ग़लत संग के ढिग 
मतदाता की दुर्गति होई
दुर्गति होई सकल परिवार कुटुम्ब 
गिरवी होबे देश हमारा
मानवता होबे छिन्न-भिन्न 
मत को मत मंदिरा में बेंचों 
मत को मत मद में बेंचों
मत मर्यादा की पर्याय।।

मर्यादा कबहू ना दीजे अपराधी के संग
कहत कबीरा संत सुजान 
जो मर्यादा धोखे से परी अपराधी संग
मर्यादा का जीवन बीतें पल पल मृत्यु के संग
इसलिए कहते रहे हमेशा चतुर सुजान
मत को मत दीजे अपराधी के संग
मत जो पड़ी धोखे से अपराधी संग
दुर्गति होबे मतदाता की 
दुर्गति होबे सकल परिवार कुटुम्ब 
मानवता छलनी होबे
बहन बेटियों को दुष्ट आंख दिखावें
दुष्टों के चौसर चलते नेताओं के संग

इसलिए कहत कबीरा संत सुजान
मत को मत बेचो मदिरा में नादान
मत को मद में मत बेचो इसके शक्ति को पहचान 
यह ही तेरा असली भाग्य विधाता
ग़लत पड़ी तो यह ही दुर्गति का सब दाता 
सुन लो सुन लो मेरे भाई बहनों 
मत अपने भविष्य से करो खिलवाड़
मत को मत मंदिरा बेंचों 
मत को मत मद में बेंचों
मत मर्यादा की है पर्याय।।

कलम क्रांति का दर्पण है 
जय भारत जय संविधान

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